रूस ने यूक्रेन पर की सैन्य कार्रवाई की पूरी जानकारी हिंदी में

रूस ने यूक्रेन पर की सैन्य कार्रवाई की पूरी जानकारी हिंदी में

  1. पिछले दिनों रूस ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों- डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र क्षेत्रों के रूप में मान्यता दी है।
  2. वहीं आज सुबह रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई की घोषणा की है। इसके बाद यूक्रेन में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया है।
    इसी के चलते विश्व के कई देश जैसे अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जापान ब्रिटेन ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  3. पिछले कुछ हफ्तों में तनाव चरम पर है क्योंकि रूस ने शीत युद्ध के बाद से सबसे खराब संकटों में से एक के रूप में यूक्रेन की सीमाओं पर 1,50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया था।
  4. डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र क्षेत्रों के रूप में की गई घोषणा ने मिन्स्क में हस्ताक्षरित वर्ष 2015 के शांति समझौते को तोड़ दिया, जिसमें यूक्रेनी अधिकारियों को विद्रोही क्षेत्रों में व्यापक स्व-शासन की पेशकश करने की आवश्यकता थी।

रूस का पक्ष

  1. इसने मौज़ूदा संकट के लिये उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को ज़िम्मेदार ठहराया और अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन को रूस के लिये एक संभावित खतरा बताया गया।
  2. आरोप लगाया कि यूक्रेन को रूस की ऐतिहासिक भूमि विरासत में मिली थी और सोवियत संघ के पतन के बाद पश्चिम द्वारा रूस को शामिल करने के लिये इस्तेमाल किया गया था।
  3. रूस चाहता है कि पश्चिमी देश यह गारंटी दें कि नाटो यूक्रेन और अन्य पूर्व सोवियत देशों को सदस्य के रूप में शामिल होने की अनुमति नहीं देगा।
  4. इसने गठबंधन से यूक्रेन में हथियारों की तैनाती रोकने और पूर्वी यूरोप से अपनी सेना वापस लेने की भी मांग की है।
  5. इसके पश्चात पश्चिमी देशों ने इस मांग को खारिज कर दिया है।

रूस यूक्रेन विवाद की पृष्ठभूमि

  1. यूक्रेन और रूस सैकड़ों वर्षों के सांस्कृतिक, भाषायी और पारिवारिक संबंध साझा करते हैं।
  2. रूस और यूक्रेन में कई समूहों के लिये देशों की साझा विरासत एक भावनात्मक मुद्दा है जिसका चुनावी और सैन्य उद्देश्यों के लिये प्रयोग किया जाता है।
  3. सोवियत संघ के हिस्से के रूप में यूक्रेन रूस के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली सोवियत गणराज्य था और रणनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण था।
  4. पूर्वी यूक्रेन का डोनबास क्षेत्र (डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र) वर्ष 2014 से रूसी समर्थक अलगाववादी आंदोलन का सामना कर रहा है।
  5. यह आंदोलन क्रीमिया में रूसी सैन्य हस्तक्षेप के बाद तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप (Crimean Peninsula) पर कब्ज़ा कर लिया गया।
  6. अप्रैल माह में रूस समर्थक विद्रोहियों ने पूर्वी यूक्रेन क्षेत्र पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया (रूस ने उन्हें हाइब्रिड युद्ध के माध्यम से समर्थन दिया) और मई 2014 में, डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में विद्रोहियों ने यूक्रेन से स्वतंत्रता की घोषणा करने हेतु एक जनमत संग्रह आयोजित किया।
  7. तब से यूक्रेन के भीतर मुख्य रूप से रूसी भाषी क्षेत्रों (जहाँ 70% से अधिक लोग रूसी बोलते हैं) में विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच गोलाबारी और संघर्ष जारी है, जिसमें लगभग 14,000 से अधिक लोगों की जान चली गई, साथ ही इसके कारण लगभग 1.5 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  8. अक्तूबर 2024 के बाद तब से गोलाबारी काफी तेज़ हो गई है, जब रूस ने यूक्रेन के साथ सीमाओं पर सैनिकों को तैनात करना शुरू किया था।
  9. अब युद्ध के प्रकोप को रोकने का एक तरीका यह होगा कि ‘मिन्स्क समझौतों’ को तुरंत लागू किया जाए, जैसा कि रूस ने सुझाव दिया है।

मिन्स्क समझौते

दो मिन्स्क समझौते हैं- मिन्स्क-1 और मिन्स्क-2, जिसका नाम बेलारूस की राजधानी मिन्स्क के नाम पर रखा गया है, जहाँ इस संबंध में वार्ता आयोजित हुई थी।

मिन्स्क-1

  1. मिन्स्क-1 को सितंबर 2014 में यूक्रेन त्रिपक्षीय संपर्क समूह [यानी यूक्रेन, रूस और यूरोप सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (OSCE)] द्वारा तथाकथित ‘नॉरमैंडी प्रारूप’ में फ्राँस और जर्मनी की मध्यस्थता के साथ लिखा गया था।

  2. मिन्स्क-1 के तहत यूक्रेन और रूस समर्थित विद्रोहियों ने 12-सूत्रीय युद्धविराम समझौते पर सहमति व्यक्त की, जिसमें कैदियों का आदान-प्रदान, मानवीय सहायता और भारी हथियारों की वापसी शामिल थी।

हालाँकि दोनों पक्षों द्वारा किये गए उल्लंघन के कारण समझौता लंबे समय तक नहीं चल सका।

मिन्स्क-2

  1. जैसे ही विद्रोही यूक्रेन में आगे बढ़े, फरवरी 2015 में, रूस, यूक्रेन, OSCE के प्रतिनिधियों और डोनेट्स्क एवं लुहान्स्क के नेताओं ने एक नए 13-सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे अब मिन्स्क-2 समझौते के रूप में जाना जाता है।
  2. इस नए समझौते में यूक्रेनी कानून के अनुसार तत्काल युद्धविराम, भारी हथियारों की वापसी, OSCE निगरानी, डोनेट्स्क और लुहान्स्क हेतु अंतरिम स्वशासन पर वार्ता के प्रावधान थे।

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