24 जून – वीरांगना ‘रानी दुर्गावती’ / बलिदान दिवस

24 जून – वीरांगना ‘रानी दुर्गावती’ / बलिदान दिवस 

इतिहास में महिला वीरांगनाओं की कम संख्या नहीं हैं। रानी दुर्गावती जिन्हें उनके बलिदान और वीरता के साथ एक कुशल शासक के तौर पर भी याद किया जाता है। उन्होंने मुगलों की आगे हार स्वीकार नहीं की और आखिरी दम तक मुगल सेना का सामना कर उसकी हसरतों को कभी पूरा नहीं होने दिया।

रानी दुर्गावती ने मुगल शासकों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया था और उनको अनेक बार पराजित किया था और हर बार उन्होंने जुल्म के आगे झुकने से इंकार कर स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना। दो हमलों के बाद 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला किया तब तक रानी की सैन्य शक्ति कम हो गई थी।

24 जून - वीरांगना 'रानी दुर्गावती' बलिदान दिवस

युद्ध के दौरान पहले एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोंक आंख में ही रह गयी। इसके बाद तीसरा तीर उनकी गर्दन में आकर धंस गया। अंत समय निकट जानकर रानी ने वजीर आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दे, पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अतः रानी अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में भोंककर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं।

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