Hindi Poem: कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते,
मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते,
रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में,
लेकिन आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते,
इंसान ने वक्त से पूछा….. मैं हार क्यूं जाता हूँ ?
वक्त ने कहा… धूप हो या छाव हो, काली रात हो या बरसात हो,
मैं हर वक्त चलता रहता हूँ, इसलिए मैं जीत जाता हूँ,
तू भी मेरे साथ चल, कभी नहीं हारेगा…… ऊँचे ख्वाबों के लिए |