Hindi Poem: क्या ख़ूब लिखा है, न चादर बड़ी कीजिये, न

Hindi Poem: क्या ख़ूब लिखा है:

न चादर ड़ी कीजिये,

न ख्वाहिशें दन कीजिये,

चार दिन की ज़िन्दगी है,

बस चैन से सर कीजिये…

न परेशान किसी को कीजिये,

न हैरा किसी को कीजिये,

कोई लाख गत भी बोले,

बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये…

रूठा किसी से कीजिये,

न झूठा वादा किसी से कीजिये,

कुछ फुसत के प निकालिये,

कभी खु से भी मिला कीजिये…

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