Last Updated on July 13, 2022 by kumar Dayanand
Hindi Poetry (हिंदी शायरी): उससे कह दो की
मेरी सज़ा कुछ कम कर दे,
हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं,
बस गलती से इश्क हुआ था ।

लगा कर आग गुलशन में वो हाले दिल पूछते हैं।
अरे तुम क्या जानोगे हम तुमहारे बारे क्या सोचते हैं।
मेरी और तेरी सोच का ये हमेशा फासला रहा।
जिन पत्थर को तुमने राह का रोड़ा समझा उसी को हम पूजते हैं।।
बे नाम जिंदगी की हक़ीक़त न पूछो।
किसी भी शर्त पे मंज़ूर उसकी कुर्बत थी,
जो दोस्ती है अभी कल वो ही मोहब्बत थी,
कमाल ये है कि जब भी किसी से बिछड़े हम,
यही लगा कि यही आख़िरी मोहब्बत थी. .!
याद ना दिलाओ वो पल इश्क़ का
बड़ी लम्बी कहानी है,
मैं किसी और से क्या कहूं
जब उनकी ही मेहरबानी हैं…!!
मंजिल का नाराज होना
जायज था
तुम भी तो अनजान राहों से
दिल लगा बैठे थे!!!
रुला कर उसने कहा अब मुस्कुराओ और हम भी मुस्कुरा दिए
क्यूंकि सवाल हंसी का नहीं उसकी ख़ुशी का था।।
मुझे रख दिया छाँव में, खुद जलते रहे धूप में
मैंने देखे है ऐसे फरिश्ते, माता पिता के रूप में..