Hindi Poetry – हिंदी शायरी – जरा कह दो जा कर इन गरीब लोगो से, जो करोड़ो

Hindi Poetry – हिंदी शायरी 

जरा कह दो जा कर इन गरीब लोगो से,
जो करोड़ो अरबों का कारोबार करते है |

हमारी अमीरी, दिलों से नापी जाती है,
वो पैसों से रिश्तों को शर्मसार करते है |

हमारी बराबरी करना उनकी औकात नहीं,
हम फकीर है एक बेवफा से प्यार करते है |

अगर गुनाह है किसी को हसीं पल बांटना,
ऐसे ऐसे गुनाह हम दिन में हजार करते है |

CHAIRMAN & MANAGING DIRECTOR

रंग ही बदला है फितरत नहीं उन लोगो ने,
मिजाज देखिए घर बुला कर वार करते है |

आंगन में आया शक्श दुश्मन ही क्यों न हो,
मेहमान पर हम भगवान सा एतबार करते है |

वो कागजी नोटो से हमे खरीदना चाहते है,
मगर जमीर बेचने का काम गद्दार करते है |

मांग कर वो बेशक, मेरी जिंदगी भी लेले,
मोहब्बत पर कुर्बान ये सांसे सौ बार करते है |

By: Dayanand Sir Alias Deepak Sir

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