Hindi poetry – हिन्दी कविता – उस दरिंदे कि, मेरे खून पर नजर और मेरी उसके

Hindi poetry – हिन्दी कविता  

उस दरिंदे कि, मेरे खून पर नजर
और मेरी उसके, नाखून पर नजर

हिम्मत भी देखो कोई बेहसी की
कोई डालो इसके, जुनून पर नजर

अब यहां यार में, खुश भी रहूं कैसे
यहां सबकी है मेरे सुकून पर नजर

बड़ी सर्दी हो रही है, दिसंबर में यार
इंतजार में मेरी, अब जून पर नजर

CHAIRMAN & MANAGING DIRECTOR

बुन रही है स्वेटर प्यार का मेरे लिए
मेरी है उंगलियों में फंसे, ऊन पर नजर

कोई भी करें मुझे फोन, मेरे फोन पर
मेरी माँ रखती है, मेरी ट्यून पर नजर

बाजी है सारी, बादशाह के हाथ में
और मेरी है उसकी, क्वीन पर नजर |

By: Dayanand Sir Alias Deepak Sir

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