Rajasthan: राजस्थान राज्य के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में, स्थापना दिवस (73वां)
- 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।
- राजस्थान की स्थापना 18 मार्च, 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में 1 नवंबर, 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
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- अन्य जानकारी राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था।
राजस्थान की स्थापना
राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आज़ाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्रवाई शुरू की, तभी लग गया था कि आज़ाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी, उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति के नजरिये से देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी।
इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का क़ब्ज़ा था। इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बड़ा ही दूभर लग रहा था क्योंकि इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता के रूप में देख रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए। करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरूप का निर्माण हो सका।
Rajasthan Day 2024: स्थापना दिवस पर जानें राजस्थान की रोचक बातें
30 मार्च, 1949 को राजस्थान का गठन हुआ था। राजस्थान दो शब्दों से मिलकर बना है ‘राज’ और ‘स्थान’। यानी स्थानों या जगहों का राजा। यह गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से घिरा हुआ है। आइए आज स्थापना दिवस पर राजस्थान के बारे में काम की बातें जानते हैं…
क्षेत्रफल के मामले में राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राज्य के बड़े हिस्से में थार रेगिस्तान है जिसको ग्रेट इंडियन डेजर्ट के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान बालू के टीलों, रेगिस्तान और चट्टानों की धरती है। जयपुर यहां की राजधानी है। जयपुर यहां का सबसे बड़ा शहर भी है। राजस्थान भव्य महलों, किलों, रंगों और उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है।
राजस्थान का इतिहास
राजस्थान का अस्तित्व प्रागैतिहासिक काल से मिलता है। समय-समय पर यहां चौहान, मेवाड़,गहलोत वंशों का राज रहा है। मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बुंदी, कोटा, भरतपुर और अलवर बड़ी रियासतें हुआ करती थीं। इन सभी रियासतों ने ब्रिटिश शासन की अधीनता स्वीकार कर ली थी। इससे राजाओं ने अपने लिए तो रियायतें हासिल कर लीं लेकिन लोगों के बीच असंतोष रहा। 1857 के विद्रोह के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में लोग एकजुट हुए और स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। आजादी के बाद जब रियासतों का विलय होना शुरू हुआ तो बड़ी रियासतों जैसे बिकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर को मिलाकर ग्रेटर राजस्थान बना। 1958 में आधिकारिक तौर पर मौजूदा राजस्थान राज्य वुजूद में आया। उस समय अजमेर, आबू रोड तालुका और सुनल तप्पा रियासतों ने भी राजस्थान में विलय किया।
राजस्थान के प्रतीक चिह्न
- राज्य का पशु : ऊंट और चिंकारा
- राज्य की पक्षी: गोडावण जिसो सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन वगैरा के नाम से जाना जाता है।
- राज्य का फूल: रोहिड़ा
- राज्य का वृक्ष: खेजड़ी
राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्य
- सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य
- राष्ट्रीय मरू उद्यान
- जयसमंद वन्य जीव अभयारण्य
- तालछापर अभयारण्य
- वन विहार अभयारण्य
- माउंट आबू अभयारण्य
- जवाहर सागर अभयारण्य
- गजनेर वन्य जीव अभयारण्य
- कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य
- रामगढ़ विषधारी अभयारण्य
- सीतामाता अभयारण्य
- कनक सागर पक्षी अभयारण्य
- राष्ट्रीय चंबल घड़ीयाल अभयारण्य
- नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य
- जमवा रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य
- भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चितौड़गढ़)
- शेरगढ़ अभयारण्य
- बंध बरेठा
- फुलवारी की नाल अभयारण्य
- बस्सी अभयारण्य
- रावली टाडगढ़ अभयारण्य
- केलादेवी अभयारण्य
- सज्जनगढ़ अभयारण्य
राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान या नैशनल पार्क
- रणथम्बोर राष्ट्रीय उद्यान
- केवलादेव (घना) राष्ट्रीय उद्यान
- मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान
थार रेगिस्तान / मरुस्थल
- थार रेगिस्तान का ज्यादातर हिस्सा राजस्थान में पड़ता है। इसका कुछ हिस्सा हरियाणा, पंजाब और गुजरात के कच्छ के रण तक पाया जाता है। थार रेगिस्तान पाकिस्तान के सिंध प्रांत और पाकिस्तानी पंजाब के कुछ हिस्से तक भी फैला हुआ है। पर्यटकों के लिए यहां कैमल सफारी काफी पसंदीद है।
राजस्थान के प्रमुख स्थान
- उदयपुर, नागौड़, माउंट आबू, कोटा, जोधपुर, झलावर, जयसलमेड़, जयपुर, बिकानेर और अजमेर यहां की प्रसिद्ध जगहें हैं जो यहां स्थित महलों, मंदिरों और दरगाह के लिए प्रसिद्ध हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- राजस्थान के लगभग बड़े शहरों का किसी न किसी खास रंग से संबंध है जैसे जयपुर का गुलाबी, उदयपुर का सफेद, जोधपुर का नीले रंग और झलावर का बैंगनी रंग से। इन जगहों पर लगभग सभी खास स्मारकों और स्थानों को खास रंगों से रंगा गया है। यही वजह है कि जयपुर को गुलाबी शहर, उदयपुर को वाइट सिटी भी बोलते हैं।
- राजस्थान के बारे में लोग सोचते हैं कि वहां सिर्फ रेगिस्तान ही रेगिस्तान होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ हिस्से में आपको रेगिस्तान बिल्कुल नहीं दिखेगा। वहां आपको हरियाली भी दिखेगी।
- ऐसा माना जाता है कि अरावली पर्वत श्रृंखला बनने की वजह से सरस्वती नदी थार रेगिस्तान के नीचे ही गुम हो गई थी। अरावली पर्वत श्रृंखला भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है। यह हिमालय से भी पुरानी है।